Mangal Murti ki Arati | मंगलमूर्तीचा आरती
Mangal Murti ki Arati | मंगलमूर्तीचा आरती
नाना परिमळ दूर्वा शेंदुर शमिपत्रे ।।
लाडू मोदक अन्ने परिपूरित पात्र ।
ऐसें पूजन केल्या बीजाक्षर मंत्र ।।
अष्टहि सिद्धि नवनिधि देसी क्षणमात्रें ।। १ ।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ।।
तुझे गुण वर्णाया मज कैंची स्फूर्ती ।। जय०।। धृ० ।।
तुझे ध्यान निरंतर जेकोणी करिती।
त्यांची सकलहि पायें विघ्नेही हरती जी का शिविका सेवक सुत युवती।।
सर्वोह पावुनि अंती भवा तरती।। जय देव० ।।२।।
शरणागत सर्वस्वं भजती तव चरणी कीर्ति तयांची राहे जोवर शशितरणी।
त्रैलोक्यीं ते विजयी अद्भुत हे करणी।।
गोसावीनंदन रत नामस्मरणीं ।।
जय देव जय देव जय०।३।।
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव